Ram Lalla Pran Pratishtha: पीतांबर वस्त्र, स्वर्ण आभूषण, हाथों में कोदंड और तीर लिए रामलला की पहली संपूर्ण तस्वीर का करें दर्शन
अयोध्या में रामलला विराजमान हो गए हैं. मंदिर में विराजमान रामलला का पहला वीडियो भी सामने आ गया है. इसमें रामलला की मूर्ति पर खूबसूरत मुस्कान देखी जा सकती है.
अयोध्या, Ram Lalla Pran Pratishtha: अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न हो चुका है. अयोध्या में रामलला विराजमान हो गए हैं. मंदिर में विराजमान रामलला का पहला वीडियो भी सामने आ गया है. इसमें रामलला की मूर्ति पर खूबसूरत मुस्कान देखी जा सकती है. इन्हें सोने के आभूषणों से सजाया गया है. प्रतिमा को फूल मालाओं से सजाया गया है. उनका सोने से बना मुकुट भी देखा जा सकता है, जिसमें कई तरह के रत्न जड़े हुए हैं |
#WATCH | Ram Lalla idol at the Shri Ram Janmaboomi Temple in Ayodhya#RamMandirPranPrathistha pic.twitter.com/QOW51jbt5L
— ANI (@ANI) January 22, 2024
क्या है रामलला की मूर्ति की खासियत?
राम मंदिर में मौजूद रामलला की मूर्ति की ऊंचाई 51 इंच है। इस मूर्ति को कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने तैयार किया है. मूर्ति काले पत्थर से बनाई गई है, ताकि दूध से अभिषेक करने पर पत्थर पर इसका कोई प्रभाव न पड़े। अन्य किसी भी पदार्थ का मूर्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। रामलला की मूर्ति तैयार करने के लिए एक ही पत्थर का इस्तेमाल किया गया है यानी एक ही पत्थर को तराश कर इसे तैयार किया गया है. रामलला की मूर्ति कामूर्ति का वजन करीब 200 किलोग्राम है |
क्या हैं मंदिर की खास बातें?
श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है। पूर्व से पश्चिम तक इसकी लंबाई 380 फीट है, जबकि इसकी चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है। राम मंदिर में 392 खंभे लगाए गए हैं और इसमें 44 दरवाजे हैं. मंदिर के खंभों और दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरें बनी हुई हैं। भूतल पर मुख्य गर्भगृह में भगवान श्री राम के बाल स्वरूप यानी श्री रामलला की मूर्ति रखी गई है।
मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार पूर्वी दिशा में स्थित है
जहाँ सिंह द्वार के माध्यम से 32 सीढ़ियाँ चढ़कर पहुँचा जा सकता है। मंदिर में कुल पाँच मंडप (हॉल) हैं – नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप। मंदिर के पास एक ऐतिहासिक कुआँ (सीता कूप) है, जो प्राचीन काल का है। मंदिर परिसर के दक्षिण-पश्चिमी भाग में, कुबेर टीला में भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है, साथ ही जटायु की एक मूर्ति भी है।